Friday, December 21, 2007

अच्छा लगता है

जिसे याद कर गीत बनाना अच्छा लगता है।
पहरों उसी को गीत सुनाना अच्छा लगता है।।
०००००
किसी न किसी बहाने मुझसे मिलने आती है ,
छत पर सूखे बाल सुखाना अच्छा लगता है।
।जिसे याद कर गीत बनाना अच्छा लगता है।।
०००००
मेरा नाम हथेली पर लिख रख ले होंठों पर ,
बोसों से फिर लिखा मिटाना अच्छा लगता है।
।जिसे याद कर गीत बनाना अच्छा लगता है।।
०००००
चाँद की उतरन पहनके पुरवा जब भी भटकेगी ,
उसको तेरा पता बताना अच्छा लगता है।
।जिसे याद कर गीत बनाना अच्छा लगता है।।
०००००
मेरे मंत्र आरती पूजा सब ले लेती है ,
उसको ही भगवान बनाना अच्छा लगता है।
।जिसे याद कर गीत बनाना अच्छा लगता है।।
०००००
पता चल गया यदि उसको तो सब कुछ ले लेगा,
फिर भी उसी को राज़ बताना अच्छा लगता है।
।जिसे याद कर गीत बनाना अच्छा लगता है।।
०००००
बेपर्दा कर डाले खुद को मेरे गिले करते,
अपनी कुरती फटी दिखाना अच्छा लगता है।
।जिसे याद कर गीत बनाना अच्छा लगता है।।
०००००
रिश्ता सा हो गया , डाकिया अपना लगता है,
रोज़ रोज़ ख़त पता लगाना अच्छा लगता है।
।जिसे याद कर गीत बनाना अच्छा लगता है।।
०००००
कहीं मोहल्ले मे कोई रुख्सती किसी की थी,
रो रो करके मुझे बताना अच्छा लगता है।
।जिसे याद कर गीत बनाना अच्छा लगता है।।
०००००
घर आँगन जो झुक कर आये द्वार पड़े छोटा,
घर के अन्दर उसे बुलाना अच्छा लगता है।
।जिसे याद कर गीत बनाना अच्छा लगता है।।
०००००
सरे बज्म जो तुमसे मिलने उठ करके आये ,
उसको तो फिर गले लगाना अच्छा लगता है।
।जिसे याद कर गीत बनाना अच्छा लगता है।।
०००००

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