SATYENDRA "SHALABH"
Monday, October 6, 2008
गाँव ले चल
गाँव ले चल जिद करे
बचपन ठुनक कर रो गया ।
छाँव शीतल नीम की
चंदन हुई मैं खो गया । ।
०००००
नींद फ़िर वैसी कभी मीठी नहीं सोंधी मिली।
माँ के आँचल में दुबक कर दूध पीते सो गया ॥
गाँव ले चल जिद करे
बचपन ठुनक कर रो गया ।।
०००००
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