Monday, October 6, 2008

 
गाँव ले चल 

गाँव ले चल जिद करे
बचपन ठुनक कर रो गया ।
छाँव शीतल नीम की
चंदन हुई मैं खो गया । ।
०००००
नींद फ़िर वैसी कभी मीठी नहीं सोंधी मिली।
माँ के आँचल में दुबक कर दूध पीते सो गया ॥
गाँव ले चल जिद करे
बचपन ठुनक कर रो गया ।।
०००००